वमन, अम्लता तथा जलोदर के प्राकृतिक उपचार जाने

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 वमन, अम्लता तथा जलोदर के प्राकृतिक उपचार जाने

वमन का उपचार

वमन यानि उल्टी आना देखने में कितना साधारण रोग लगता है। मगर जब यह बढ़ जाए तो परेशानी कर सकता है। अपच के कारण उल्टी, कोई बात नहीं। गर्भ ठहरनेका संकेत मान उल्टी, कोई बात नहीं। मगर जब इनकी तीव्रता बढ़ जाए। जब उल्टीके साथ खून भी आने लगे। या जब गर्भवती स्त्री को बेहद उल्टियाँ आने लगे। इन सब परेशानियों में बड़ी कठिनाई होती है। बात नियंत्रण से बाहर भी हो सकती है। 



यहाँ हम कुछ अच्छे व आसान घरेलू उपचारों की चर्चा करते हैं।

इमली का रस

कोई 50 ग्राम इमली लें। इसे भिगोकर रखें। कुछ देर बाद इसको अच्छी तरह मय लें। छान कर रस निकालें। इसे एक गिलास पानी में मिलाकर रोगी को पिला दें। उल्टी आना रुक जाएगा।

लॉग का काढ़ा

लौंग पाँच अदद लें। कूटें। डेढ़ कप पानी लेकर इसे खूब उबालें। छानें। शक्कर डालें। इसे रोगी को पिलाकर सुला दें। रोगी सीधा या उलटा नहीं, बल्कि करवट लेकर सोए। यह एक खुराक है। ऐसी चार खुराकें। हर तीन घंटों बाद पीता रहे। इससे उल्टियाँ बंद हो जाएंगी। आराम मिलेगा।

शहद व लौंग

यदि कोई गर्भवती युवती बार-बार होने वाली उलटी से परेशान चल रही हो तो दो लौंग लें। इन्हें पीस लें। एक चम्मच शहद लें। इसमें यह पिसी लौंग मिलाएँ। चटाएँ। बार-बार की उल्टी आना बंद हो सकेगा।

धनिया का रस

उल्टियों रोकने के लिए हरा धनिया लें। इसको धोकर, रस निकालें। चार चम्मच रस रोगी को पिलाएं। उल्टी आना बंद होगा।

सूखा धनिया

सूखा धनिया पीस लें। इसे पानी में उबालें। अच्छी तरह उक्त जाने पर इसका रस पिलाएँ। उल्टी बंद होगी।

गर्भवती के लिए

1. ऊपर यताए धनिया के दोनों इलाज गर्भवती स्त्री के लिए भी उतने ही उपयोगी

हैं जितने अन्य उल्टी वाले रोगी के लिए।

2. गर्भवती बुबती को आने वाली उल्टियों या के का इलाज करने के लिए तीन

चम्मच चायल लें। इसे धोकर एक गिलास पानी में भिगो दें। 30 मिनट बाद

इन्हें हिला दें। इसमें एक छोटा चम्मच पिसा धनिया भी डाल दें। पंद्रह मिनट

तक मिगोए रखें। अब इन दोनों को पानी में अच्छी प्रकार मथ लें। छानें।

यह कै का इलाज है। इस एक गिलास पानी को तीन हिस्सों में पीना है।

हर बार डेढ़-डेढ़ घंटे का अंतरात रखें। कै नहीं होगी।

नारंगी का रस

उल्टियों लगें या के से गर्भवती परेशान हो। नारंगी का रत पिलाएँ। इससे उल्टी बंद हो जाती है। नारंगी खाने से भी यह रुक जाती है।

नींबू से उपचार

1. यदि उल्टी होने की प्रवृत्ति होने लगे। किसी का जी मिचालाने लगे। उसे नींबू

का एक टुकड़ा लेकर काली मिर्च, सेंधा नमक के साथ चूसना चाहिए। आराम

मिलेगा। उल्टी आएगी ही नहीं।

2. नींबू काटें। बीज निकालें। इसमें पिसी इसायची भरें। अब रोगी को चटाएँ।

उसको उल्टी आना बंद हो जाएगा।

3. यदि छोटा बच्चा दूध उलटता हो तो ऐसे बच्चे को पानी में कुछ बूंदें मिलाकर

पिला दें। बच्चा दूध उलटना छोड़ देगा।

4. नींबू काटकर बीज निकाल फेंके। अब इसमें काली मिर्च पिसी हुई तथा शक्कर

भरें। यदि रोगी इसे चाट ले तो उसकी उल्टी करने की प्रवृत्ति खत्म होगी।

5. नींबू का शर्बत बनाएँ। ठंडे पानी में शक्कर घोल लें। इसमें नींबू निचोड़ें।

इस एक गिलास शक्कर तथा नींदू मिले पानी को छान लें। रोगी को पिलाएँ।

जी खराब होना बंद होगा। जी मिचलाना बंद होगा। उल्टी आनी रुक जाएगी।

साँस भी सरल हो जाएगी।

6. उल्टी रोकने के लिए पोदीना पीस लें। रस निकालें। इस दो-तीन चम्मच रस

में आधा चम्मच नींबू का रस मिलाएँ। इसे पिलाने से उल्टी बंद हो जाएगी।

आँवले का मुरब्बा

यदि किसी युवती को के आती हो। किसी को उल्टी परेशान करती हो। इसे आँवले का मुरब्बा 30 ग्राम एक समय, हर दो घंटों बाद खिलाते रहें। आराम मिलेगा।


अम्लता का उपचार

जिसका पाचन ठीक नहीं होगा। गैस बनेगी। छाती में जलन होगी। खड़े डकार आएँगे। उसे अम्लता का सामना करना पड़ेगा। इस रोग को घरेलू उपचारों से ठीक करना संभव है। अधिक वायु बनना भी बंद हो जाएगा।

दूध का सेवन

अम्ल पित्त का रोगी यदि सबसे सरल व सुलभ उपचार चाहे तो उसे दिन में चार बार आधा-आधा गिलास ठंडा दूध पीना चाहिए। इससे आराम मिलेगा। अम्लता नहीं रहेगी। कई दिनों तक जारी रखें।

केला, इलायची, चीनी

इस रोग से बचने के लिए, छुटकारा पाने के लिए केला लें। इसको छीलकर टुकड़े करें। इस पर पिसी इलायची तथा पिसी चीनी डालें-आधा-आधा चम्मच। मिलाकर खाने से अम्लता को आराम मिलेगा।

गाजर का रस

इस रोग को शांत करने के लिए दिन में दो बार गाजर का रस-एक-एक गिलास रोगी पीता रहे। चार-पांच दिनों में पूरा आराम महसूस करेंगे।

गरम पानी व नींबू

अम्लता से परेशान व्यक्ति यदि एक गिलास गरम पानी में नींबू निचोड़कर, दिन में दो बार पीता है तो उसे काफी राहत मिलेगी। अम्लता की शिकायत नहीं रहेगी।

प्याज व दही

अम्लता का रोग ऐसा नहीं जो ठीक न से सके। ऊपर अनेक उपचार लिखे हैं। इनमें

एक यह भी है कि एक कटोरी दही में एक सफेद प्याज़ काटकर डालें। इसे खाएँ। यदि रोगी इसे दिन में दो बार, पाँच दिनों तक लगातार खाता है तो यह रोग पूरी तरह खत्म हो सकेगा।

नारियल का पानी

यदि अम्लता के रोगी को नारियल का पानी उपलब्ध हो सके तो उसे यह दिन में तीन बार पीते रहना चाहिए। चार ही दिनों में रोग खत्म होगा।

भुना हुआ आलू

ऐसा रोगी गरम राख में या गरम रेत में आलू भूनकर खाया करे। यह (1) अम्लता दूर करेगा। (2) उसे खड़े डकार आना बंद होगा। (3) उसके पेट में गैस नहीं बनेगी।

लॉग चबाना

अम्लता का प्रभाव पूरी तरह खत्म करने के लिए रोगी खाना खाकर एक लौंग चूसें, चयाएँ और धीरे-धीरे रस निगलता रहे। दिन में दो बार।

मूली का रस

खट्टी डकारें न आएँ। गैस बननी बंद हो। छाती में जलन न हो। ताज़ा मूली का एक कप रस निकालें। इसमें पिसी मित्री एक-डेढ़ चम्मच डालें। इसे रोगी को पिला दें। पाँच दिनों तक यह उपचार जारी रखें। अम्लता का रोग नहीं रहेगा।


जलोदर का उपचार

जलोदर रोग को भी घरेलू उपचारों के साथ टीक करना संभव है। ऐसे क्या उपचार हैं, उनका वर्णन यहाँ दिया है


लहसुन का रस


एक छोटा गिलास ताज़ा पानी लें। इसमें एक चम्मच लहसुन का रस डालें। मिलाएँ । रोगी को पिलाएँ। यदि इसे एक सप्ताह तक नियमित पिलाएँ तो रोग ठीक होगा।


चना का काढ़ा

एक गिलास पानी में एक मुही काले चने धोकर उथालें। खूब उबालें। जब पानी आया बच रहे तो उतारें। इसे रोगी को पिलाएँ। इसे कम-से-कम 25 दिनों तक रोगी को अवश्य पिलाया करें। उसका जलोदर का रोग खत्म होगा।

करेले का रस

करेले का रस चार चम्मय निकालें। इसे एक बड़े कप पानी में मिलाएं। पिलाएं। एक

सप्ताह तक यह उपचार जारी रखें। आराम मिलेगा। जलोदर खत्म होगा।

कच्चा प्याज़

जलोदर के रोगी को कच्चा प्याज़ डीलकर, काटकर, बार-बार खिलाएँ। कम-से-कम तीन बार, एक-एक प्याज एक दिन में। सात दिनों तक यह जारी रखें।

कुछ और फल-सब्ज़ियाँ

जलोदर के रोगी को ठीक करने के लिए उसे निम्नलिखित सब्जियों, फल, दही आदि खिलाएँ।

1. खरखूजा खिलाएँ। पफा, पीला, मीय खरबूजा ।

2. गाजर का सेवन।

3. गाजर का रस।

4. प्याज, गाजर, खरखूजा काटकर, मिलाकर एक साथ खिलाएँ।

5. इन तीनों को मिलाकर एक छोटा गिलास रस पिलाएँ।

6. एक गिलास छाछ, प्रातः नाश्ते में पिलाएँ।

इस उपचार को एक सप्ताह तक करने से जलोदर का रोगी पूरी तरह ठीक हो सकता है। इन पृष्ठों में हमने बमन (उल्टी) को रोने, अम्लता को समाप्त करने तथा जलोदर से छुटकारा पाने के तरीके जान लिये हैं। ये सभी हमारे हित में हैं। इनको प्रयोग में लाएँ।


आप सभी का धन्यावद Gk Ayurved


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