दोनों प्रकार की 'बवासीर' का संभव है घर में उपचार

0 Gautam Soni

 दोनों प्रकार की 'बवासीर' का संभव है घर में उपचार


बवासीर का रोग पेट तथा मलद्वार से संबंधित है। बवासीर में खून भी गिर सकता है, नहीं भी। इसीलिए बिना खून वाली बवासीर तथा खून वाली बवासीर-दो किस्में हैं इसकी। दोनों खराब हैं। बेचैनी, बेआरामी, कमज़ोरी लाती हैं। अतः दोनों खतरनाक हैं। इनकाइ लाज प्रारंभिक स्टेज पर हो तो बहुत अच्छा। इस रोग को बढ़ने न दें वरना शरीर की क्षति होती जाएगी।

वैसे बवासीर को कहीं-कहीं तीन प्रकार का बताया गया है। उनके मुताबिक(1) बाह्य बवासीर, (2) आंतरिक बवासीर, (3) मिश्रित।

शिराओं के अंदर रक्त जम जाना, शिराओं का फूल जाना ही बवासीर का मस्साब ना देता है। यह रोग है। तीनों में ऐसा ही होता है।

रोग को अन्य दो तरीकों से भी आवंटित किया जाता है। इसके अनुसार

(1) तीक्ष्ण, (2) दीर्घकाल तक रहने वाली। तीक्ष्ण प्रभावकारी बवासीर में शौच के बाद बहुत सारा खून बहता रहता है। ऐसा अक्सर होते रहने से बेहद कमज़ोरी आ जाती है।

यदि ऐसा हो तो रक्तअल्पता का रोग हो जाता है। दीर्घकाल तक रहने वाली बवासीर में शौच के बाद रक्त कभी-कभी ही आता है। हमेशा नहीं। मगर मस्सों से बेहद तकलीफ हुआ करती है। यह इतनी कमज़ोरी तो नहीं लाती मगर परेशान करती है हम यहाँ पर रक्त वाली यवासीर तथा बिना रक्त के बवासीर कहकर इनके घरेलू उपचारों की चर्चा करेंगे।

रक्त वाली बवासीर

कुछ उपचार यहाँ प्रस्तुत हैं। दाना मेवी से इलाज

1. दाना मेथी लें। इसे पीसें। एक गिलास दूध लें। उसमें एक चम्मच पिसी दाना मेथी डालें। दूध उबालें। इसे छानकर पी लें। बवासीर का रक्त बहना बंद हो जाएगा।

2. पिसी मेथी एक चम्मच लें। एक गिलास पानी में इसे डालें। उबालें। जय पानी मात्र एक तिहाई रह जाए। इसे छानकर पीने से पूरा आराम मिलेगा।

मूली का र

1. कच्ची मूली का रस निकालें । मात्रा आधा छोटा गिलास । देशी घी पिपला हुआ

एक चम्मच लें। इसे मूली के रस में मिलाएं। रोगी को पिलाएँ । उसे एसी

खुराक शाम को भी पीनी है। जब तक ठीक न हो, लेते रहें।

2. कच्ची मूरी खाते रहें। यह अच्छा व आसान इलाज है। बवासीर के साथ रक्त

बहना बंद होगा।

भुने हुए चने

यदि भुने हुए चने हों तो इनका खाना खूनी बवासीर में फायदा करता है। भुने हुए थने गरम ही खाने चाहिए। यह खूनी बवासीर का सरल इलाज है। इससे शरीर में शक्ति काभी  संचार होता है।

ईसबगोल की भूसी

1. रात को सोते समय गरम दूध लें। इसमें शक्कर बालें। एक चम्मच ईसबगोल

की भूसी डालें। मिलाकर पी लें। रक्तस्त्रावी बवासीर ठीक होगी।

2. यदि कभी दूध उपलव्य न हो तो गरम पानी के साथ भी ईसबगोल की भूसी ले सकते हैं।

नींबू और कत्था

एक नींबू लें। इसे काटें। बीज निकालें। इन आधे-आधे नींबुओं में पिसा हुआ कत्या भरें। नींबू को चूसें। जब तक रस रहे, चूसते रहें। रोग शांत होता जाएगा।

करेला व शक्कर

ताज़ा करेला लें। इसका रस निकालें। इसमें ज़रूरत अनुसार शक्कर मिलाएँ। रोगी को पिलाएँ। आराम महसूस करेगा। बवासीर ठीक होगी। मस्सों से खून आना बंद होजा एगा।

नारियल की राख

एक नारियल लें। इसकी जटाएँ उतारें। इन्हें जलाएँ। ठडी होने पर पीस लें कपड़छान करें। यह राख रक्तस्रावी बवासीर की दवा है। इस राख का एक चममच तथा इतनीही शक्कर लें। मिलाएं। रोगी को खिलाएँ। ऊपर से ताज़ा पानी पिला दें रोग शांत होजाएगा।

मसूर तथा खट्टी छाछ

इस रोग को उखाड़ने के लिए भोजन में कोई अन्य दाल, सब्णी न खाएँ। यल्कि मसूरकी दाल बनाएँ व खाएँ । खाना खाने के बाद एक गिलास खड़ी छाछ पिया करें। कुछदिनों तक इसे नियमित करें।

फिटकरी का घोल

फिटकरी लें। पीसें। पानी में घोलें

1. इस घोल से रोगी अपनी गुदा धोया करे। आराम मिलता है।

2. साथ ही, इस फिटकरी के पानी को पिचकारी में भरें। गुदा के अंदर डालें।पिचकारी से यह पानी अंदर जाने दें। आराम मिलेगा।

तिल का तेल

1. मल-द्वार पर तिल का तेल लगाया करें। इससे आराम मिलेगा।

2. चार चम्मच काले तिल लें। इन्हें चबा-चबाकर खाएँ। इन्हें खाने के बाद एक

कटोरी दही खाएं। इससे बवासीर में खून गिरना रुक जाएगा। राहत महसूस

करेंगे।

कच्चा प्याज़

इस रोग को ठीक करने के लिए एक कव्या प्याज़ रोज़ खाया करें। रक्तवावी यवासीर ठीक होगी।

पका पपीता

इस रोग का रोगी यदि अच्छा पका पपीता प्रतिदिन, दिन में दो बार, एक समय अढ़ाई सौ  ग्राम खाया करे तो बहुत आराम मिलेगा।

बिना खून वाली बवासीर

ऐसी बवासीर जिसमें खून नहीं गिरता अधिक खतरनाक होती है क्योंकि इसके मस्से अधिक परेशान करते हैं। इस रोग का घरेलू उपचार भी संभव है। कुछ उपचारों को यहाँ दिया जा रहा है।

कच्चा प्याज

यदि इस रोग का रोगी प्रतिदिन एक प्याज़, एक समय या दोनों समय खाना शुरू करदे तो इससे उसे काफी आराम मिलेगा।


आम, दही, अदरक आदि

भीठे आमों का रस एक कप लें। मीठा दही एक छोटी कटोरी, अदरक का ताजा रस एक चम्मच लें। इन सबको मिलाएँ। रोगी को पिला दें। हर 6 घंटों बाद, दिन में तीन बार सेवन करें। कुछ दिनों तक इसे नियमित लें। बवासीर ठीक हो जाएगी।

लौकी के पत्ते

लोकी के पत्ते लें। धोएँ। पीसें। इसका लेप गुदा पर करें। दिन में दो बार। यह इस रोग को ठीक कर देगा। जारी रखें।

अमरूद का सेवन

बिना रक्त वाली बवासीर का रोगी सदा अमरूद खाया करे। अच्छे, इलाहाबादी अमरूद मिलें तो जी भरकर खाएँ व आराम पाएँ।

गेहूँ का पौधा

इस रोग का इलाज करने के लिए गेहूँ के पौधे लाएँ। इनका रस निकालें। इसे रोगी को पिलाएँ। एक समय में एक कप। आराम मिलना शुरू होगा।

तिलों का तेल

बिना रक्त वाली बवासीर का इलाज करने के लिए-तिलों के तेल को प्रयोग में लाएँ।

1. काले तिलों के तेल को गुदा पर अच्छी प्रकार लगाते रहें। यह आराम देगा।

2. दो बड़े चम्मच काले तिल लें। इन्हें चबा-चबाकर खाएँ। बाद में ताजा पानी पीएं। कई दिनों इस उपचार को करते रहें। लाभ मिलेगा।

गवार के पौधे

गवार के पौधे तोड़कर लाएँ। इन्हें धोकर साफ़ करें। रस निकालें। पानी डालकर पी लें यदि आप गवार के 10 पत्ते लें तो 10 हो काली मिर्च भी लें। दोनों को पीसें। एक कप पानी में मिलाएँ। पी लें। आराम मिलेगा।

मूली व घी

मूली काटें। इन टुकड़ों को देसी घी में तलें। रोगी को खिलाएँ। यह बिना खून वाली बवासीर को ठीक करेगा।

मूली व ओस

सफेद मूली लें। साफ़ करें। छोटे टुकड़े बनाएँ। इस पर नमक स्वादानुसार डालें। इसे थाली में डालकर ओस में रखें। सुबह बिना कुछ और खाए, इस कटी, ओस व नमक बाली मूली को खाएँ।


धन्यवाद Gk Ayurved





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